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भड़की चिंगारी कोई दोनों तरफ है
बस दिलो को सुलगाना बाकी है
लेकर बैठे है कागज़ और कलम
लिखना मोहब्बत का अफसाना बाकी है(१)
निकाल कर कांटे सभी, गुलाब चुनकर लाये है
हर किसी को कुछ न कुछ कहकर आये है
हो चुकी है मुकम्मल तैयारियां सभी
बस अब तो तेरा इकरार सुनने आये है (२)
तेरे लबों की लाली बस इनाम हो मेरा
हवा के हर थपेड़े में पैगाम हो तेरा
है एक ख्वाहिश बस मोहब्बत हो मुकम्मल
नज़रों में दुनिया की जो भी अंजाम हो मेरा (३)
दिखता नहीं है कुछ तेरे चेहरे के अलावा
है मोहब्बत सच्ची मेरी,नहीं कोई दिखावा
तुझे पाने की राहों में खुदा भी अगर आये
लाँघ के भी उनको न होगा कोई पछतावा (४)
देख चलते चलते तेरे दर पर आये है
सभी सितम जमाने के हमने भूलाये है
झरोंखे से अपनी ज़रा बाहर तो तू निकल
थाम ले तू हाथ मेरा, रुख हवाओं का बदल (५)
निभाने सारे कस्मे वादे देखो वो आये है
उनकी राहों पे फूल हमने बिछाये है
हर सांस ज़िन्दगी की जिनके नाम कर दी हमने
वो आज हमारा घर-बार बसाने आये है (६)
आते ही, हमसे उन्होंने ये कहा
चलो बसाये अपना एक जहां
जमाने की न करे फ़िक्र कोई
करे वो जो हमारे दिल ने है कहा (७)
और फिर ज़िन्दगी के मायने बदल गए
इश्क़ की राहों में हम, गिर के संभल गए
लगने लगी सारी दुनिया तब परायी
जब दो अजनबियों के दिल मिल गए (८)
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